एक शानदार, धारदार और मजेदार आदिवासी सिनेमा है ‘एक्सोन’. हमारे जानते में झारखंड के हो समुदाय के शिवाजी चंद्रभूषण (फ्रोजेन, 2007) और तनुज भ्रमर (डीयर डैड, 2016) के बाद मेघालय के खासी समुदाय के निकोलस खारकोंगर तीसरे आदिवासी डायरेक्टर हैं जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. निकोलस की फिल्म ‘एक्सोन’ इसी साल जून में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. भारत के आदिवासियों, विशेषकर पूर्वात्तर के आदिवासियों पर हो रहे नस्लीय हमलों के खिलाफ यह एक शानदार व्यंग्यात्मक फिल्म है. यह फिल्म फूड कल्चर से कहीं ज्यादा उस नस्लीय घृणा को शर्मसार करती है जिसका शिकार आदिवासी हो रहे हैं. AK Pankaj

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