हम हुल करेंगे
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जल जंगल और जमीन हमारा,
उसमें अवैध कब्जा तुम्हारा।
तब तो हम हुल करेंगे।।

देश हमारा, शासन तुम्हारा,
हक हमारा, नाजायज अधिकार तुम्हारा।
तब तो हम हुल करेंगे।।

खेत, खलिहान और अनाज हमारा।
उसमें बेहिसाब लगान तुम्हारा।
तब तो हम हुल करेंगे।।

मेरे देश में, मानवीय वेश में।
शासन के नाम पर शोषण तुम्हारा।
तब तो हम हुल करेंगे।।

आज भी यदि केनाराम जीवित हो,
उठ के आए यदि महेश लाल ।
तब तो हम हुल करेंगे।।

मेरे वीरों के प्रतिमा तोड़ोगे,
शांत स्वाभाव समाज को छेड़ोगे।
तब तो हम हुल करेंगे।।

अबु:आ दिसोम अबु:आ राज के लिए,
स्वाभिमान और आत्म सम्मान के लिए।
निश्चित ही हम हुल करेंगे।।

अपने हक और हकूक् के लिए,
वर्तमान और उज्वल भविष्य के लिए।
फिर से हम हुल करेंगे।।

********** हुल जोहार ***********
🙏🙏
✍️ सुशिल म. कुवर।

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