धार्मिकता के अभाव एवं शहरीकरण को प्राथमिकता देके वर्तमान समय में आदिवासी अपनी मूल पहचान खो रहा है
पुरखो की परंपरा छोड़ अन्य धर्मो की तिज त्योहार एवं उनकी सभ्यता को बढावा दे रहा है जबकि अपनी मूल परंपराओं को भूल रहा है