Mukesh Hembram is feeling Happy
4 yrs

सिर पर बोझ
कंधे पर बंधा
बेतरे में वर्तमान
और भविष्य
हँसिया लिए हाथ में
दौरा उठाए
जूड़े में खोंस
काठ की कंघी
घुटनों तक बंधी
मोटिया साड़ी
नंगे पांव
पूरी गृहस्थी को
कंधों पर सम्भाल
जंगल पहाड़
निर्भीक लांघती
केंदू के पत्ते तोड़ने
भरी दुपहरी जंगल पहाड़ से
उतरती
छाया तलाशती
बैठ जाती है
बरगद के नीचे
नन्हें की भूख मिटाने
बांधती है कुछ पत्तों
के गट्ठर
चंद पैसों के हिसाब
बेच आती है
उन गट्ठरों को
और जुटा लेती है
गृहस्थी के कुछ सामान
जी लेती है कल के लिए
आज को !
🥀मुक्ता टोप्पो

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