भूख और बचपन
न जाने आज ऐसी कितनी ही माया होंगी जिनके बारे में सोचकर ही मन पसीज सा जाता हैं। पूरी दुनिया पूरी दुनिया पिछले डेढ़ सालों से आर्थिक मंदी के प्रकोप से ऐसी डगमागाई कि विश्व भर में भूखे पेट सोने वाले परिवारों की संख्या में 3 करोड़ नये परिवार जुड़ गये।