संदर्भ - 8 मई को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रेलवे ट्रैक पर सो रहे 16 मजदूर ट्रेन की चपेट में आकर मारे गए। फोटो में दिख रही रोटियां उन्हीं में से किसी मजदूर की है। यूं तो यह मौतें एक दुर्घटना के तौर पर दर्ज होंगी पर यह संस्थागत हत्याएं हैं। पूरे देश में मजदूरों मेहनतकशों के आज हाल बेहाल हैं। सरकार ने लॉक डाउन तो कर दिया पर मजदूरों के लिए कहीं पर कोई सुविधा नहीं है। ज्यादातर जगहों पर स्वयंसेवी संगठन या कुछ उदार हृदय लोग मजदूरों के लिए खाने की व्यवस्था कर रहे हैं पर जाहिर है कि वह पूरे देश के मजदूरों के लिए कभी भी पर्याप्त नहीं हो सकता। फासीवादी सरकार और अमानवीय प्रशासनिक अमले के लिए अभी भी मजदूर सिर्फ एक संख्या ही रहेंगे। इसके बाद भी वह उनके लिए कुछ करने वाले नहीं हैं।.....
saroj marandi 4 yrs
😔😔😔