ADIWASI JIVAN??
कहते हैं लोग,पिछड़े हो तुम -२
रखते तुम सोच पुरानी हो ।
पर मेरा कहना साफ है इसपर -
उस आदि काल के अंश हो तुम
उस बोए बीज से उपजी कहानी हो
लोगों के ताने क्यों सहे, और हां
उन्हें क्यों समझ आती नहीं है ये बात -
नहीं है ये सिर्फ आज की बात
पौराणिक सभ्यताओं के शुरुवात से भी पहले की है ये बात
अनाज ना हो पेट में,तो धरे रह जाते हैं
सारे के सारे जस्बात।
आदि काल ⚒️ से वास है इनका
दिया सभ्यताओं को इन्होंने जन्म है ।-२
पर आज, है ये असभ्य कहलाते -२
क्यों ? क्योंकि खेतो पर ये हल जो चलाते ।
खुशियों से अंजान है वो बैठे,
जो चारदिवारी का लुफ्त उठाते है।
अरे भई कोई जाए और देखे ?️
सावन में वो सूखे खेत भी
हवा के झोकों संग लहराते हैं ।?
थके हारे बैठे हैं लोग
लगें है अब खेतो की खूबसूरती निहारने में ।
थका शरीर , माटी से लतपत पैर आदमी का
और उसकी औरत निहारे चेहरा
माटी में जमे पानी के आयने में ।
एक चमक सी है दोनों की आंखों में
माटी उनकी मुस्कान है बनी,और
लहलहाती फसल ??होने की उम्मीद है उनकी बातों में ।
मेहनत समझते लोग जिसे,
देखते उसमें ये खुशियां ? है ।
बादल गरजे जोर जो उनपर
बारिश की बूंदे अब फुलझडियां ✨? हैं ।
पैसे की चाहत में लोगों ने अपनी कुर्बानी दी
शायद भूल गए थे वो हसी का मतलब
और ना बची थी उनमें खुशी की चाहत ।
अब फिर मैं कहता हूं-
सोच? किसकी पुरानी है
हम आदिवासी प्यार है बोते
लालच की फसल तो तुमने उगाई है ।
-Rakshak Bedia
RAKSHAK BEDIA 4 yrs
Thank u everyone🥰😍